Skip to main content

कुछ शिकायतों के दौर सा है

कुछ शिकायतों के दौर सा है
कुछ मेरा कुछ किसी और सा है
किसी और से उम्मीद न थी कुछ
शायद खुद के अरमानों से बेख़ौफ़ सा है ||

अजीब सी बेबसी है जिन्दगी की
कुछ सच कुछ झूठ सा है
वो मुझे समझ रहे मैं उन्हें समझा रहा
अजीब उलझनों का दौर सा है
न जाने क्या सुलझाने की कोशिश कर रहा
मुद्दा दिल में उलझे किसी के फरेब सा है ||

नजर किसी को देख रही, निहार रही
मन उनमें मचलता किसी गली के मोड़ सा है
यह संभलना चाहता है कुछ पल खुद से
कमबख्त दिल सुनता न किसी और का है
खुद से खुद को शिकयतों का दौर सा है ||

किसी के याद में पल पल खो सा जाता है
उनकी गैरमौजूदगी में भी
किसी के साथ होने के पल पल भ्रम सा है
दिल तो बिखर कर भी सम्भलना चाहता
न जाने क्यों किसी के खोने के डर सा है ||

हर दफ़ा मन समझाता रहा उनकी ओर बढने से
कमबख्त हर पल दिल उनमें डूबने को मजबूर सा है
हम बेवजह पल पल मशगुल हैं उनमें
शायद खुद को तलाशने का यह शौक सा है
जिंदगी कुछ पल मुसाफ़िर बन हमे आजमाती गयी
उनसे रूबरू होकर भी न जाने क्यूँ हम वादे निभाते गये
अब खुद को खुद से कुछ शिकायतों के दौर सा है ||



Comments

Popular posts from this blog

मैं पूरा सा नही हो पा रहा हूँ

सुनो न! मैं पूरा सा नही हो पा रहा हूँ कुछ समेटने की कोशिश कर रहा हूँ पर खुद को बिखरा सा महसूस कर रहा हूँ मुझमें जिद्द न थी तुझे पाने की पर कुछ तो छूट सा गया है न जाने किस अन्जाने तलाश में आगे निकल चला हूँ दरसअल, याद आ रहा है वो सब कुछ जो बदल सा गया है तुम, तुम्हारा साथ और एहसास सब याद आ रहा है एक साया सा है मेरे साथ जिससे मैं ख़ुद को जुदा कर रहा हूँ भूल जाऊ, ऐसी कोशिश है मेरी पर भूलकर जैसे खुद अधूरा सा लग रहा हूँ।। #ख़्वाब #मेरे_सपने

इश्क़-ए-लफ्फाज़ी (भाग-1)

अनेक कविताओं और कहानियों का संस्मरण करते हुए, आज यह धडकता दिल बहुत परेशान था | शायद कुछ कहना चाहता था, या खुद को समझाना चाहता था | दरअसल यह बेचैनी किसी चीज की नही थी बल्कि उसे, उसमें समाहित प्रेम ने विचलित कर रखा था | प्रेम कभी भी किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान या खुद से हो सकता है | प्रेम हमारे जीवन की स्वाभाविक प्रक्रिया है | जब आप किसी के साथ प्रेम में होते हैं तो यह आपके जीवन के सबसे ख़ूबसूरत लम्हों और एहसासों में से एक होता या यूं कह लें कि इसका स्थान सर्वोच्च होता है | यदि प्रेम का ताल्लुक किसी व्यक्ति विशेष से हो तो इसका तात्पर्य यह बिलकुल नही कि उसे हासिल किया जाय | उस व्यक्ति से आपके दिल से लगाव और उसके प्रति अटूट विश्वास व गहनता ही प्रेम का प्रतीक है | जब आप उसके छोटे-छोटे लम्हों में खुश होना सीख जाते है, उसके साथ कुछ पल बिताने व अपने नज़रों के सामने देखने भर से अन्दर ही अन्दर प्रफुल्लित होते है, सुकून महसूस करते हैं | यही प्रेम को जीने और महसूस करने का दौर होता है | जब आपको उस व्यक्ति से लगाव हो जाता है तो आप उसकी देखभाल व उसके प्रति अपने एहसासों व भावनाओं...

उन्होंने कुछ कहा और सोचते रहे हम

उन्होंने आज कुछ कहा और सोचते रहे हम "आज कुछ बदल से गये हम थोड़े से खुद में मगरूर से हो गये है हम" | किसी और को वजह बताते रहे वो, उन वजहों को खुद में तलाशते रहे हम बातों ही बातों में उलझ गये हम वो लम्हे बिताते गये, उन्हें पल पल समझाते गये हम हमारे ग़मों में उलझना चाहते थे वो, उन्हें अपनी ख़ुशी की वजह बताकर सुलझाते रहे हम|| राते कटनी शुरू ही हुई थी कि घिरते बादलो के बीच समाते गये वो मद्धम मद्धम चमकते तारों के बीच चाँद से चेहरे को तलाशते रहे हम दिन बदल गये, लम्हे बिछड़ गये खुद के बदलाव पर सोचते रहे हम | वो मेरे बदलाव पर आज सवाल उठाते रहे उन्हें अपनी मगरुरियत की वजह बताए बगैर चुप रहे हम अब आज फिर उन्होंने कुछ कहा और सोचते रहे हम ||