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Showing posts from February, 2018

इश्क़-ए-लफ्फाज़ी (भाग- 5)

प्यार में धोका खाने के बाद या प्यार में असफलता हाथ लगने के बाद उदास नही होना है। जितनी बेहयाई प्यार को पाने के लिये दिखाई है न उससे थोड़ा कम बेहया भी बन गये तो भी ज़िन्दगी मजे में कटेगी। हाँ! माना कि दुःख होता है! नींद गायब हो जाती है! कुछ खाने पीने का मन नही करता लेकिन इसका मतलब ये नही की तुम दुनियॉ भूल कर देवदास बने बैठ जाओ ससुर। अरे ये भी हो सकता है कि तुम्हें कोई अपने सोलह सोमवार वाले ब्रत में माँग रहा हो और उस व्रत की ताकत तुम्हारे इस प्यार को पाने की कोशिशों से कही ज्यादा हो। बेशक़ पियो दारू और सिगरेट। तुम्हारी ज़िन्दगी है! तुम्हे ही भोगना है ससुर..कौन रोक सकता है भला। पर लड़की के गम से उबरने के नाटक में ये सब मत किया करो। भाई दारू के बहाने किसी और को या खुद को बदनाम क्यों करना। कोई जरूरत नही किसी ज़ोया के प्यार में कुन्दन बनने की! खून थूक के मरने की। पहचानो यार किसी बिंदिया को जो तुमसे प्यार करती है, जो तुमपे अपना सब कुछ हार सकती है और करो प्यार उससे। यहाँ कोई किसी को नही रोकता। खून थूक कर मर भी गये तो भी ज़ोया आवाज़ नही लगाने वाली। आख़िरकार सब कुछ पाना ही तो जिंदगी नही है ना! अरे

इश्क़-ए-लफ्फाज़ी (भाग-4)

ठण्ड हो चला है यह मौसम भी, इस प्यार के महीने में, ठीक वैसे ही जैसे मेरा प्यार ठंडा पड़ता गया तुझे बदलते देख | या यूं कह लें कि तेरे एहसासों और मुस्कराहटों का रूख बदलते देख | जब अधिकतर बड़े शहरों की तरह अपने इस छोटे से कस्बें में भी साथी युवाओं के सर वेलेंटाइन का भूत सवार है तो अन्दर ठण्ड पड़ी मोहब्बत भी कभी कभी हिलोर ले उठती है | कभी तुम्हारे खिलखिलाते चेहरे की याद दिलाती तो कभी तुम्हारे उन तमाम बचकानी हरकतों और नादानियों की | ऐसे तमाम पल रहे मेरे तुम्हारे दरमियाँ जिसे जीने या महसूस करने के लिए किसी खास दिन की जरूरत नही महसूस हुई | बस वे सारे लम्हें मेरे तुम्हारे यादों में किसी न किसी रूप में जुड़ते चले गये | अपने इश्क़ के इज़हार के लिए किसी खास दिन की जरूरत नही होती | अगर इश्क है तो हर पल खास और यादगार हो सकता | इश्क़ होनी चाहिए उन तमाम छोटे छोटे लम्हों से जो आपके या आपके साथी के चेहरे पर मुस्कान लाये, इश्क होनी चाहिए अपने उन तमाम एहसासों से जो आपको बिना सोचे समझे किसी को खास महसूस कराने और मोहब्बत जाहिर करने के लिए कुछ भी करने को मजबूर करने को मजबूर कर दे | इश्क़ होना चाहिए कुछ ऐ