कुछ चीजे अनकही सी ही अच्छी लगती है, कुछ अनसुलझी सी अच्छी लगती है |
कोशिशे तमाम कर लो उन्हें समझाने और सुलझाने की, लेकिन न चाहते हुए भी कुछ उलझी सी ही अच्छी लगती है |
ख्वाब तो हजारों सजा लिए हमने तुम्हे देखते हुए, लेकिनअब नजरों से दूर, इन अहसासों में तुम्हारी मौजूदगी भी अच्छी लगती है |
क्यों परवाह करें हम अपने चाहतों की, इन अनकही चाहतों पर तुम्हारी अनसुलझी मुस्कान ज्यादा अच्छी लगती है |
हमें परवाह नही तेरे दूर या पास होने की फिर भी हमे जिन्दगी में तेरी आधी-अधूरी मौजूदगी अच्छी लगती है |
कोशिशे तमाम कर लो उन्हें समझाने और सुलझाने की, लेकिन न चाहते हुए भी कुछ उलझी सी ही अच्छी लगती है |
ख्वाब तो हजारों सजा लिए हमने तुम्हे देखते हुए, लेकिनअब नजरों से दूर, इन अहसासों में तुम्हारी मौजूदगी भी अच्छी लगती है |
क्यों परवाह करें हम अपने चाहतों की, इन अनकही चाहतों पर तुम्हारी अनसुलझी मुस्कान ज्यादा अच्छी लगती है |
हमें परवाह नही तेरे दूर या पास होने की फिर भी हमे जिन्दगी में तेरी आधी-अधूरी मौजूदगी अच्छी लगती है |
Comments
Post a Comment