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चाँद में दाग ....

सुना था चाँद में भी दाग है
वो चाँद को निहारे जा रहीं थी
हम उन पर दाग को तलाशते रहे
वो उनके अलग अलग हिस्सों को पढ़े जा रहीं थी
हम पूरे चाँद को समझने की कोशिश करते रहे ||
वो उनपर अँधेरे में छिपे सजावटों को निहार रहीं थी
हम चाँद के किनारें पर खड़े खुद को समझा रहे ||
वो अपनी काली आँखों को उन पर टीकाए पढ़े जा रहीं थी
हम पल पल अपने नजरों में उन्हें लिखते रहे ||
वो बंद दराज में खोए सातवें चाँद को तलाश रहीं थी
हम बंद दराज के बाहर चमक रहे चाँद को करीब से महसूस करते रहे ||
वह सातवें चाँद को अब तक दर बदर ढूंढ रहीं थी
हम आखिरी तक उन्हें साथ लेकर उनमें दाग तलाशते रहे ...

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मैं पूरा सा नही हो पा रहा हूँ

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इश्क़-ए-लफ्फाज़ी (भाग-1)

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