बेवक्त वक्त की खोज में आया
आंखो में नीर ले बैठा
कह न पाया समझा न सका
ह्रदय में ऐसी पीर ले बैठा
गलतियाँ करते अब गलत हो गया
मैं नाराज अपनी हीर कर बैठा
मान जाएगी, मेरी है वो;अब!
ह्रदय में ऐसी धीर लिए बैठा
उसके सिवा और है क्या मेरे पास
मैं भाव को शरीर कर बैठा
इंतजार करना है;करूंगा।
मैं खुद को फकीर कर बैठा
मुहब्बत है उनसे, निभाएंगे
बात को पत्थर की लकीर कर बैठा।
#संजय
आंखो में नीर ले बैठा
कह न पाया समझा न सका
ह्रदय में ऐसी पीर ले बैठा
गलतियाँ करते अब गलत हो गया
मैं नाराज अपनी हीर कर बैठा
मान जाएगी, मेरी है वो;अब!
ह्रदय में ऐसी धीर लिए बैठा
उसके सिवा और है क्या मेरे पास
मैं भाव को शरीर कर बैठा
इंतजार करना है;करूंगा।
मैं खुद को फकीर कर बैठा
मुहब्बत है उनसे, निभाएंगे
बात को पत्थर की लकीर कर बैठा।
#संजय
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