उनकी अदाओं ने मचा रखी थी कुछ अलग सी तबाही सबको लगा माह है सावन का, दिख रही हरियाली मैंने लिखा था अपने एहसास और जज़्बातों को खुद कलम बन, जिसकी थी वो सफ़ेद स्याही शायद कभी वो देख न सकी, उन्होंने आज उभरे पन्नो को पढ़ बोला तुम क्या खूब लिखते हो तबाही #बनारस_दिल्ली_इश्क़