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Showing posts from March, 2019
उनकी अदाओं ने मचा रखी थी कुछ अलग सी तबाही सबको लगा माह है सावन का, दिख रही हरियाली मैंने लिखा था अपने एहसास और जज़्बातों को खुद कलम बन, जिसकी थी वो सफ़ेद स्याही शायद कभी वो देख न सकी, उन्होंने आज उभरे पन्नो को पढ़ बोला तुम क्या खूब लिखते हो तबाही #बनारस_दिल्ली_इश्क़
वो झुकी नजरें कुछ बिखरी सी जुल्फें बदल गयी उस एक नजऱ को जो उसे कब से निहारे जा रही थी वो कुछ छोटी छोटी बातों में उलझी थी ये दिल कुछ पल भर की मुलाक़ात की उम्मीद किए एक बड़ी गुप्तगू फ़िराक में था नजऱ से नजऱ मिलती रही वो इस नजऱ को देख खुद की पलकों में छिपती रही वो कुछ क़दम दूर खड़े नज़रो के सहारे ही सही हौले हौले दिल के करीब आते गए #टुरी_पर_नज़र 😉