कभी फुर्सत से मिले तो पूछना खुद से
रिश्तों का कोई पैमाना होता है क्या ?
कभी खुद न पूछ सको तो, मिलना अपने दिल से
सुनना उसके धड़कते धडकनों को
और पूछना उनके धड़कने से किसी का अहसास होता है क्या?
कभी दो पल की मोहलत हो तो सोचना खुद से
उन बीते लम्हों के यादो में तेरा मेरा आशियाना बना है क्या ?
गर बात बनी तो बनी, न बनी तो कभी देखना अपने बंद नज़रों से
और महसूस करना, किसी दूसरे बाग़ की खुश्बू है क्या मुझमे ?
जरूरत पड़े तो पूछना कभी मुझसे
तेरे अनगढे रिश्ते के उलझने से दिल परेशान है क्या ?
कभी फुर्सत मिले तो पूछना कभी खुद से ......
रिश्तों का कोई पैमाना होता है क्या ?
कभी खुद न पूछ सको तो, मिलना अपने दिल से
सुनना उसके धड़कते धडकनों को
और पूछना उनके धड़कने से किसी का अहसास होता है क्या?
कभी दो पल की मोहलत हो तो सोचना खुद से
उन बीते लम्हों के यादो में तेरा मेरा आशियाना बना है क्या ?
गर बात बनी तो बनी, न बनी तो कभी देखना अपने बंद नज़रों से
और महसूस करना, किसी दूसरे बाग़ की खुश्बू है क्या मुझमे ?
जरूरत पड़े तो पूछना कभी मुझसे
तेरे अनगढे रिश्ते के उलझने से दिल परेशान है क्या ?
कभी फुर्सत मिले तो पूछना कभी खुद से ......
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