याद है तुम्हे ...
जानबूझकर मेरा उस अनजानी सी गली से गुजरना
फिर तेरे नजरों के सामने होते हुए, तेरा मुझसे न मिलना |
तेरे शहर में बिन बताए मेरी दस्तक पर तेरा नाराज होना
फिर मंजिल से बेखबर, खुद की गलियों में तेरा मुझसे मिलना |
अपने शहर से दूर बेगानी गलियों में देर शाम अपने शहर के परिंदे का दिखना
फिर अगली सुबह तक मिलने की जुस्तजू में खुद में भटकना ...||
जानबूझकर मेरा उस अनजानी सी गली से गुजरना
फिर तेरे नजरों के सामने होते हुए, तेरा मुझसे न मिलना |
तेरे शहर में बिन बताए मेरी दस्तक पर तेरा नाराज होना
फिर मंजिल से बेखबर, खुद की गलियों में तेरा मुझसे मिलना |
अपने शहर से दूर बेगानी गलियों में देर शाम अपने शहर के परिंदे का दिखना
फिर अगली सुबह तक मिलने की जुस्तजू में खुद में भटकना ...||
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