हाँ, एक ख्वाब हो तुम
जो बस चंद लम्हों से निकलकर, जिन्दगी की आग़ोश में सिमट चुकी हो
खुली आखों से देखी गयी वो हसीन सपना हो तुम
जिसे इस उलझी नींद में भी खुली आखों से साफ साफ देखने को जी चाहता है
बहुत ही करीब से इश्क है अपने सपनों से
जिसे अक्सर मैं अपने खुली आखों से देखा करता
लेकिन निकलना चाहता हूँ मैं अब इन सपनो से
जिसमें इन ख्वाबो ने भी अपनी जगह बना ली है
जो अब उन सपनों को भी हजार ख्वाब सजाने को मजबूर करते
लेकिन वो शायद भूल चुके है कि वो एक ख्वाब है
और ख्वाब अक्सर साथ होते हुए भी ख्वाब ही रहा करते
जिन्हें महसूस करने की मनाही तो नही लेकिन अक्सर देखने की कोशिश में सपनें बन जाते |
जो बस चंद लम्हों से निकलकर, जिन्दगी की आग़ोश में सिमट चुकी हो
खुली आखों से देखी गयी वो हसीन सपना हो तुम
जिसे इस उलझी नींद में भी खुली आखों से साफ साफ देखने को जी चाहता है
बहुत ही करीब से इश्क है अपने सपनों से
जिसे अक्सर मैं अपने खुली आखों से देखा करता
लेकिन निकलना चाहता हूँ मैं अब इन सपनो से
जिसमें इन ख्वाबो ने भी अपनी जगह बना ली है
जो अब उन सपनों को भी हजार ख्वाब सजाने को मजबूर करते
लेकिन वो शायद भूल चुके है कि वो एक ख्वाब है
और ख्वाब अक्सर साथ होते हुए भी ख्वाब ही रहा करते
जिन्हें महसूस करने की मनाही तो नही लेकिन अक्सर देखने की कोशिश में सपनें बन जाते |
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