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Showing posts from June, 2021

अँधेरे की गिरफ्त में समाहित होता “लालटेन”

  “लालटेन, लालटेन ज़रा के धरब रानी तोहके पजरिया ........”, गाँव –गिरोह से लेकर नगरों तक में रात के अँधेरे का आसरा “लालटेन” की पहचान और इसका उपयोग अब शायद केवल भोजपुरी के अश्लील गानों तक सिमट कर रह गया है | एक समय लालटेन हर घर में बहुत ही सामान्य और जरूरी वस्तु थी, लेकिन अब धीरे –धीरे जैसे यह एक इतिहास का हिस्सा बन गया है |  “लालटेन” शब्द अंग्रेजी भाषा के लॅन्टर्न शब्द का अपभ्रंश है | लालटेन को “डिबरी” का अपडेटेड और आधुनिक वर्जन कहा जा सकता है | दरअसल डिबरी अधिकतर ग्रामीण क्षेत्रों में  बहुत प्रचलन में रहा है | घर में खाली पड़ी किसी काँच की बोतल या टीन के डब्बे से डिबरी बना लिया जाता था, जिसके ढ़क्कन में छेद करके एक लम्बा सूती कपड़ा डाल दिया जाता था और डिब्बे/काँच के बोतल में किरोसीन तेल भर दिया जाता था, ऐसे डिबरी तैयार हो जाता था | इसके बाद “लालटेन” उस समय के अनुसार थोड़ा खर्चीला लेकिन बेहतर विकल्प होता था | लालटेन में एक ख़ास तरह की बत्ती (मोटे कपड़े का एक फीता) पड़ता है और इसे भी किरोसीन तेल के माध्यम से जलाया जाता है, जिसे कुछ जगहों पर घासलेट और मिट्टी का तेल भी कहा जाता है | जहां तक मु