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Showing posts from September, 2018

सपनों की एक कतार सी है ....

सपनों की एक कतार सी है छोटी सी दिखने वाली सपनों की दुनिया है वो बड़ी मिलने भर से राह न हुई पूरी ठीक सामने खड़ी है एक और मंजिल।। मंजिल के बाद है एक और मंजिल हर मंजिल की एक साजिश है हर कोई कहता बस आखिरी बार इसे पाने की ख़्वाहिश है ख्वाहिशों की इस आखिरी सी कतार में अब वो सपनों की मंजिल कहीं पीछे खड़ी है ।। राह बढ़ती जा रही अपने सपनों की दुनिया बसती जा रही अब यह दुनिया वीरान पड़ी है अपनों के बीच ही बेगानों सी पहचान पड़ी है अभी भी सपनों की एक कतार सी है ।।

तू चल रहा राही ...

चल रहा, तू चलता जा एक राही बन तू बढ़ता जा इन गिरते पड़ते कदमों से कुछ कदम कदम ही बढ़ता जा उस मंजिल की दिशा लिए तू एक रेख पर बढ़ता जा कदम कदम पर रोड़ा है तू समय समय पर लड़ता जा संघर्षो से इस बिछे सफर में उम्मीदों की एक राह पड़ी है इस राह का तू राही बन खुद अपनी तकदीर लिखता जा तू चल रहा राही बस चलता जा ....

ऐ ज़िंदगी तू आज़मा मुझे

रूबरू कराऊंगा कभी तुझसे तुझ को बदल दूंगा तेरे सारे तौर तरीकों को आज बदल रहा हर पल दो पल तू बदलने दे बस इस समय की करवट को अपने हुनर तले लहरों सा बहा ले जाऊंगा तुझे आज तू घुमा रहा दर बदर मुझे एक रोज अपने सपनो के जंजाल में फिर उलझाऊंगा तुझे आज तू बंधाओ की डोर सी दो सिरो पर बहा रहा मुझे एक रोज तुझे ही बाँधकर अपने सपनों की राह बनाऊंगा मैं #ऐ_ज़िन्दगी तू और आज़मा मुझे