सपनों की एक कतार सी है छोटी सी दिखने वाली सपनों की दुनिया है वो बड़ी मिलने भर से राह न हुई पूरी ठीक सामने खड़ी है एक और मंजिल।। मंजिल के बाद है एक और मंजिल हर मंजिल की एक साजिश है हर कोई कहता बस आखिरी बार इसे पाने की ख़्वाहिश है ख्वाहिशों की इस आखिरी सी कतार में अब वो सपनों की मंजिल कहीं पीछे खड़ी है ।। राह बढ़ती जा रही अपने सपनों की दुनिया बसती जा रही अब यह दुनिया वीरान पड़ी है अपनों के बीच ही बेगानों सी पहचान पड़ी है अभी भी सपनों की एक कतार सी है ।।