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तुमसे अनकही दास्तान

लिखने की कोशिशें तमाम करता रहा तुझे 
कभी शब्दों में बयां करने की कोशिश की तो कभी तेरे मेरे दरमियाँ छिपे अहसासों में 
बिन मकसद के तमाम कोशिशे भी करता रहा, तुम्हे रिझाने की 
कभी तुम्हारी छोटी-छोटी बातों को लिखा तो कभी तेरे- मेरे दरमियाँ बिन बातो के घटे अहसासों को लिखा 
पास न होते हुए भी बिन देखे, तेरे अहसासों को कभी लिखा तो 
कभी बंद नज़रों से देखे तेरे मुस्कान को लिखा
लेकिन तेरे साथ बीते उन लम्हों को न लिख सका, जो छोटी सी होते हुए भी न जाने कितनी यादे छोड़ गयी |
बस कोशिश करता रहा उन छोटे-छोटे बड़े लम्हों से एक बड़ी जिंदगानी लिखने की
लेकिन तू मेरी जिंदगी से कही परे मेरे जज्बातों में लिपटी रही |
शब्दों की बनावट में तुझसे अनकही वो सारी बाते छिपी रही,
जो बिन कहे भी तुम समझती रही, कभी मेरे ख्वाबो में तो कभी जज्बातों में
अब जब तुम बिन कहे मेरी उलझी हुई लिखावटों में सुलझी हुई खुद को देखती
तो हरदफा तुझे लिखने को दिल चाहता है |

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