जिन्दगी ये जीना चाहती है
अपनी दुनिया के करीब आकर
पल पल तुझे देखना चाहती है
अपनी दुनियां को देखकर
हर पल महसूस करना चाहती है
जिंदगी ये जीना चाहती है ||
अपनी दुनियां के हर बेखबर ख्वाब का
पल पल खबर लेना चाहती है
अपने ख्वाबों को
सपनों के शहर की तरह
इस दुनियां में जीना चाहती है
जिन्दगी अब जीना चाहती है ||
अपनी दुनिया में कुछ पल रहना चाहती है
जिसमें उलझे तमाम ख्वाब
कुछ एहसास है
उन ख्वाबों में उलझ कर
तेरे एहसासों में सुलझना चाहती है
जिन्दगी अब जीना चाहती है ||
अपनी दुनियां में हर सुबह
कुछ रौशनी बिखेरना चाहती है
हर ढलते शाम को
लालिमा बिखरते डूबते सूरज की भाति भी
खूबसूरत देखना चाहती है
जिन्दगी अब जीना चाहती है ||
अपनी दुनियां में
बिन कोई नया आशियाना बसाये
अपने दिल के आशियानें में
तुझे जीते देखना चाहती है
तू मेरी एक गढ़ी हुई दुनिया
जिसमें ये जिन्दगी
कुछ पल जीना चाहती है ||
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