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Showing posts from November, 2018

एक लड़का

लिखना है कुछ तो लिखो हर बात बोल कर बताई नही जाती छवि तुम्हारी कुछ यूं बिखरी है इन समझदारों के समंदर में कि तुम आह भी भरो तो लोग समझेंगे जरूर कोई दर्द या तन्हाई है करो कोशिश तुम उन्हें जानने की पल भर के लिए भी उन्हें पहचानने की तुम पकड़े जाते हो किसी के जहनों जहां में एक शिकारी की तरह, एक बलात्कारी की तरह ये छवि है एक जमात की जिसकी तुम पैदाईस हो बचो तुम, समझो तुम लिखो अपनी कहानी को कुछ इस तरह कि जब तुम बात करो अपने मन की इज़हार भी करो अपने दिल की... हर लड़की समझे तुम्हारी जुबानी को न मजबूर हो खुद को समझाने को #एक_लड़का

उस चेहरे की सिकन को देखो ...

उस चेहरे की सिकन को देखो जब वह कुछ अनजानों के भीड़ के बीच छिपा हो देखो उसके अंदर की बेचैनी को जब वह कुछ कदम दूर रखें हुए भी टकटकी लगाए निहार रहा एक कोने को कुछ खटपट सी क्या हुई आँखों के साथ साथ सहारा लिए हाथ भी बेसहारा हो बढ़ाते है अपने कदम अपने जिगर को बचाने किसी गैर नजर से देखो गौर से उस चेहरे को इस दौड़ती ट्रेन, भरी भीड़ में लोगो के भागती नजरों के बीच एक पिता खड़ा है, अपनी बेटी से कुछ ही कदम दूर शायद इस सफर को मजबूर .... #सफ़र_में