कुछ चीजे अनकही सी ही अच्छी लगती है, कुछ अनसुलझी सी अच्छी लगती है | कोशिशे तमाम कर लो उन्हें समझाने और सुलझाने की, लेकिन न चाहते हुए भी कुछ उलझी सी ही अच्छी लगती है | ख्वाब तो हजारों सजा लिए हमने तुम्हे देखते हुए, लेकिनअब नजरों से दूर, इन अहसासों में तुम्हारी मौजूदगी भी अच्छी लगती है | कुछ रिश्तें बेनाम होते है यूँ तो लोगो के लिए आम, पर खुद के लिए बेहद खास होते है छोटी छोटी बाते, कुछ पल की मुलाकातें लोगों से नही खुद से करते थे हम जिक्र हमारा किसी रोज़ तुम जब रूठती थी, फिर कुछ पल खुद से लड़ती थी, जताता नही था, पर मैं भी करता था फ़िक्र तुम्हारा छोटे छोटे लम्हों को समेटे एक दौर सा बीत गया तुम पास रहे या दूर उन छोटी छोटी बातों से एक एहसास जुड़ता गया एक एहसास, जो इस जहां से परे हमारी हुई उन बातों में ख्वाबों सा जगह कर गया तेरे रूठने से मेरे मनाने तक का वह दौर हर पल तमाम कहानियां गढ़ता गया जिसमें हम कभी लड़े, शिकवा और शिकायतें भी रही बस कम न हुई तो नजदीकियां तुम किसी ढ़लती शाम सी बिखरती जरूर थी पर अगली सुबह मिलने की आस भी रही हर रोज़ तुम्हारा आना जाना लगा रहा तेरी यादें भ