उन्होंने आज कुछ कहा और सोचते रहे हम
"आज कुछ बदल से गये हम
थोड़े से खुद में मगरूर से हो गये है हम" |
किसी और को वजह बताते रहे वो, उन वजहों को खुद में तलाशते रहे हम
बातों ही बातों में उलझ गये हम
वो लम्हे बिताते गये, उन्हें पल पल समझाते गये हम
हमारे ग़मों में उलझना चाहते थे वो, उन्हें अपनी ख़ुशी की वजह बताकर सुलझाते रहे हम||
राते कटनी शुरू ही हुई थी कि घिरते बादलो के बीच समाते गये वो
मद्धम मद्धम चमकते तारों के बीच चाँद से चेहरे को तलाशते रहे हम
दिन बदल गये, लम्हे बिछड़ गये
खुद के बदलाव पर सोचते रहे हम |
वो मेरे बदलाव पर आज सवाल उठाते रहे
उन्हें अपनी मगरुरियत की वजह बताए बगैर चुप रहे हम
अब आज फिर उन्होंने कुछ कहा और सोचते रहे हम ||
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