खुद से सिफारिश किये जा रहा हूँ कि खुद को रोक लो
तेरी फ़िक्र में बेवजह मचल रहे इस बावरे मन को सम्भाल रहा हूँ
और ये धडकता दिल कह रहा, दिल की जगह दिमाग को चलने से रोक लो
इन आँखों को लग रहा जैसे अर्से गुजर गये तुझे देखे हुए
अब जब मुस्कुराने की आदत हो गयी तुम्हे बंद आँखों से ख्वाबों में देखते हुए
तो मन कहता नज़रों के सामने देखने से खुद को रोक लो
कभी कभी मन कहता कभी लिखूं ,तुमसे अनकहे वो सारे शब्द
जो अक्सर लब्जों में बयाँ नही कर पाता मैं तुमसे
लेकिन इस सफेद रिश्ते पर लगते दाग का डर कहता इसे रंगने से रोक लो
दिल चाहता कि अपनी न सही तुम्हारी जिंदगी के कुछ ख्वाब सजाऊ
जो अक्सर तुम्हारे दो पल की ख़ुशी में बयाँ होती, जिससे तुम अनजान थी
लेकिन इस अनदेखे ख़ुशी में मेरे ख्वाबों के उम्मीद कहते कि उसे ख्वाब बनने से रोक लो ||
तेरी फ़िक्र में बेवजह मचल रहे इस बावरे मन को सम्भाल रहा हूँ
और ये धडकता दिल कह रहा, दिल की जगह दिमाग को चलने से रोक लो
इन आँखों को लग रहा जैसे अर्से गुजर गये तुझे देखे हुए
अब जब मुस्कुराने की आदत हो गयी तुम्हे बंद आँखों से ख्वाबों में देखते हुए
तो मन कहता नज़रों के सामने देखने से खुद को रोक लो
कभी कभी मन कहता कभी लिखूं ,तुमसे अनकहे वो सारे शब्द
जो अक्सर लब्जों में बयाँ नही कर पाता मैं तुमसे
लेकिन इस सफेद रिश्ते पर लगते दाग का डर कहता इसे रंगने से रोक लो
दिल चाहता कि अपनी न सही तुम्हारी जिंदगी के कुछ ख्वाब सजाऊ
जो अक्सर तुम्हारे दो पल की ख़ुशी में बयाँ होती, जिससे तुम अनजान थी
लेकिन इस अनदेखे ख़ुशी में मेरे ख्वाबों के उम्मीद कहते कि उसे ख्वाब बनने से रोक लो ||
Comments
Post a Comment