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Showing posts from October, 2021

आईशोलेसन

अब ये घर अखर रहा है मुझे अंदर ही अंदर बदल रहा है इसकी दीवारें अब जैसे अनंत सी लगती है सीढियां एक खाई सी खिड़कियां कुछ उम्मीदों की रौशनी लेकर आती है ये बिस्तर एक सहारे सा टिका पड़ा है बेचैन व कैद सा पड़ा हूँ मैं जिसपर सुकून हुआ करता था जहाँ हर पल वो पल भी जैसे बिखर रहा है मैं रातों में करवटे बदल रहा दिन के उजाले में खुद को व्यतीत होते देख रहा आपाधापी में व सपनों की उड़ान लिए कही दूर निकल आया हूँ आज मंजिल के राह पर अकेले बैठा हूँ  अब गांव का घर याद कर रहा हूँ यहाँ समय कट रहा पर ये बंद घर जैसे मुझे काटने को दौड़ रहा दरवाज़े के बाहर कुछ इंसान भी है जिनके लिए अब अछूत सा हूँ मैं आज हालात मेरे बदले है पर स्वभाव व व्यवहार उनका बदल रहा।। #आईशोलेसन

बदलते केवल शहर नही...

बदलतें केवल शहर नही इसके साथ बदलते हैं कई साथ छूट जाते है कई साथी, दोस्त व यार छूटते तो कई अजीज भी है बस बदलतें नही उन रिश्तों के एहसास सपनों की राह बहुत लंबी होती है थोड़ी मुश्किल भी होती है पर राहगीर बस मंजिल को तकता है  कभी विचलित न होता डिगता नही बदलता भी नही कभी अपने एहससात पर छोड़ आता है अपना घर, द्वार और माँ-बाप। रास्तें अब भी वही है तुम मंजिल पर खड़े हो आगे निकल चले हो बेशक़! शहर बदलो, उचाईयों पर उड़ो अपने मंजिल को बढो बस कभी पलट कर जरूर देखो तुम्हारे कुछ अपने भी है जो किसी शहर में कर रहे तुम्हारा इंतज़ार।

कुछ यादें हैं

सुनो न! मैं पूरा सा नही हो पा रहा हूँ कुछ समेटने की कोशिश कर रहा हूँ पर खुद को बिखरा सा महसूस कर रहा हूँ मुझमें जिद्द न थी तुझे पाने की पर कुछ तो छूट सा गया है न जाने किस अन्जाने तलाश में आगे निकल चला हूँ दरसअल, याद आ रहा है वो सब कुछ जो बदल सा गया है तुम, तुम्हारा साथ और एहसास सब याद आ रहा है एक साया सा है मेरे साथ जिससे मैं ख़ुद को जुदा कर रहा हूँ भूल जाऊ, ऐसी कोशिश है मेरी पर भूलकर जैसे खुद अधूरा सा लग रहा हूँ।। #ख़्वाब #मेरे_सपने

आहिस्ता आहिस्ता एक दौर गुज़र गया

सुनो न! मैं पूरा सा नही हो पा रहा हूँ कुछ समेटने की कोशिश कर रहा हूँ पर खुद को बिखरा सा महसूस कर रहा हूँ मुझमें जिद्द न थी तुझे पाने की पर कुछ तो छूट सा गया है न जाने किस अन्जाने तलाश में आगे निकल चला हूँ दरसअल, याद आ रहा है वो सब कुछ जो बदल सा गया है तुम, तुम्हारा साथ और एहसास सब याद आ रहा है एक साया सा है मेरे साथ जिससे मैं ख़ुद को जुदा कर रहा हूँ भूल जाऊ, ऐसी कोशिश है मेरी पर भूलकर जैसे खुद अधूरा सा लग रहा हूँ।। #ख़्वाब #मेरे_सपने

जब तुम मुझे मिले

सुनो न! मैं पूरा सा नही हो पा रहा हूँ कुछ समेटने की कोशिश कर रहा हूँ पर खुद को बिखरा सा महसूस कर रहा हूँ मुझमें जिद्द न थी तुझे पाने की पर कुछ तो छूट सा गया है न जाने किस अन्जाने तलाश में आगे निकल चला हूँ दरसअल, याद आ रहा है वो सब कुछ जो बदल सा गया है तुम, तुम्हारा साथ और एहसास सब याद आ रहा है एक साया सा है मेरे साथ जिससे मैं ख़ुद को जुदा कर रहा हूँ भूल जाऊ, ऐसी कोशिश है मेरी पर भूलकर जैसे खुद अधूरा सा लग रहा हूँ।। #ख़्वाब #मेरे_सपने

मैं पूरा सा नही हो पा रहा हूँ

सुनो न! मैं पूरा सा नही हो पा रहा हूँ कुछ समेटने की कोशिश कर रहा हूँ पर खुद को बिखरा सा महसूस कर रहा हूँ मुझमें जिद्द न थी तुझे पाने की पर कुछ तो छूट सा गया है न जाने किस अन्जाने तलाश में आगे निकल चला हूँ दरसअल, याद आ रहा है वो सब कुछ जो बदल सा गया है तुम, तुम्हारा साथ और एहसास सब याद आ रहा है एक साया सा है मेरे साथ जिससे मैं ख़ुद को जुदा कर रहा हूँ भूल जाऊ, ऐसी कोशिश है मेरी पर भूलकर जैसे खुद अधूरा सा लग रहा हूँ।। #ख़्वाब #मेरे_सपने

इश्क़ मुबारक

उनसे मिला,  लगा हम इश्क़ में है फिर उनसे दिल लगा जवाब मिला वो मेरे दिल में है और हम गफ़लत में कि वो भी इस इश्क़ में है #इश्क़_मुबारक😷

कुछ ऐसा लिखना चाहता हूँ मैं

कुछ ऐसा ही लिखना चाहता हूँ मैं लिखना चाहता हूँ आज कुछ ऐसा जिससे बयाँ कर सकू अपने लब्जों को जिनमें बसी है, लाखों ऐसी अनकही बातें जिनसे तू अब भी रूबरू नही है || कुछ शब्दों में समेटकर बिखेरना चाहता हूँ अपने उन तमाम जज्बातों को जो अक्सर तुम्हारे सामने बयाँ होते हुए भी सिमटे से लगते है || कुछ न बोलते हुए भी बताना चाहता हूँ अपने उन तमाम ख्यालातों व ख्वाबो को जो अक्सर तेरे बिन कुछ यादों भर के लिए बुना करता मैं || तुम्हारी बातों पर रूठना नही, मनाना चाहता हूँ तुम्हे उन तमाम बातों और बुने सपनों के लिए जिससे तेरे चेहरे पर एक चाँद सी मुस्कान बिखरती है जो कुछ पल के लिए ही सही, मेरे दिल को एक सुकून देती है || तुम्हे रोकना नही, उड़ते देखना चाहता हूँ तुम्हे तुम्हारी ही दुनिया में उड़ते देख अपनी दुनिया के नज़रों में बसाना चाहता हूँ मैं तुम पास रहो या दूर, बस तेरे दिल को दिल से अपनाना चाहता हूँ मैं || कुछ ऐसा ही लिखना चाहता हूँ मैं जिससें बयाँ कर सकूं मेरे जहन में बसे तेरे एक- एक कड़ को हर समय बदलते तेरे-मेरे एहसासों के रंग को पल पल तुझे अपनी नजरों के सामने पाने के मन को लिख पाऊं या न पाऊं, बस समझाना चाहता

बिखरी_हुई_तुम

#बिखरी_हुई_तुम मैं तुझे किसी किताब के पन्नों में सिमेटने के बजाय हवाओं में बिखरे उन अनगिनत पन्नों में चाहता हूँ...  जिसके आखिरी पन्ने की तलाश में, मैं हर पल उन कोरे पन्ने को समेटता रहूं... जिसपर हमारे वो तमाम एहसास उभरे हो जो कभी लिखे ही नही गये |

प्रिय’ लिखकरमैं नीचे लिख दूँ नाम तुम्हारा,

‘प्रिय’ लिखकर मैं नीचे लिख दूँ नाम तुम्हारा, कुछ जगह बीच में छोड़ दूँ, नीचे लिख दूँ- ‘सदा तुम्हारा’ लिखा बीच में क्या यह तुमको पढ़ना है, कागज़ पर मन की परिभाषा का, अर्थ समझना है, जो भी अर्थ निकलोगी तुम, वह मुझको स्वीकार है, झुके नयन, मौन अधर या कोरा कागज़ अर्थ सभी का प्यार है। _आशुतोष राणा