कुछ बातें करनी है
वो बातें जो मेरे अंदर दबी है
मेरे अल्फ़ाज़ मेरे सामने बैठे है
पर जुबां उन्हें नजरअंदाज कर रहा
मेरे ज़ज़्बात कहते साथ हूँ हर पल
पर दिल छिप-छिपकर मुझपर घाव कर रहा
क़लम साथ छोड़ रही
अब ख़ुद में ही खुद कुछ ख़्वाब बुन रही
एक रोज़ उन यादों को खुरेद
कुछ पल के लिए घाव भर लिए मैंने
जब उन स्याह एहसासों से निकला
कुछ पल को लगा
कोई तो है जो सुन रहा है मुझे
पर वह पन्ना अब भी कोरा है
क़लम उंगलियों में जकड़ी है
समय स्थिर पड़ा है
अब ख्यालों से बस बात कर रहा हूँ मैं।
वो बात जो मेरे अंदर बसी है।
वो बातें जो मेरे अंदर दबी है
मेरे अल्फ़ाज़ मेरे सामने बैठे है
पर जुबां उन्हें नजरअंदाज कर रहा
मेरे ज़ज़्बात कहते साथ हूँ हर पल
पर दिल छिप-छिपकर मुझपर घाव कर रहा
क़लम साथ छोड़ रही
अब ख़ुद में ही खुद कुछ ख़्वाब बुन रही
एक रोज़ उन यादों को खुरेद
कुछ पल के लिए घाव भर लिए मैंने
जब उन स्याह एहसासों से निकला
कुछ पल को लगा
कोई तो है जो सुन रहा है मुझे
पर वह पन्ना अब भी कोरा है
क़लम उंगलियों में जकड़ी है
समय स्थिर पड़ा है
अब ख्यालों से बस बात कर रहा हूँ मैं।
वो बात जो मेरे अंदर बसी है।
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