किसी से लम्हा दर लम्हा मिलने की उम्मीद
सुबह की पहली धूप के बाद्
शाम की आखिरी किरण के पहले
किसी को देखने की चाहत,
कुछ पल में ही तमाम अनसुलझे बातों के बाद
अगले ही पल उनसे बिछड़ने से पहले
अपने लब्ज पर रुकी हुई कोई बात,
यूं ही नही है, उनसे मोहब्बत है ||
घंटो बैठ, बाँहों में बाहें डाल साथ होना
जरूरत पड़ने पर बस दो पल साथ हो जाना
बिना बात के घंटो बातों का होना
उनकी हर गलती को बस हस कर टाल देना
तमाम उलझे बातों को बस दो पल की ख़ुशी के लिए मान लेना
मोहब्बत नही है ||
साथ हो न हो, पास हों न हो
मीलों दूर होकर, दिल के करीब महसूस होना
बंद आँखों से भी उन्हें करीब महसूस करना
उनकी छोटी छोटी नादानियों को याद कर खुद का खिलखिला उठना
गलती को गलती बताने पर उनका रूठना
उनके रूठने पर खुद का मनाना
बिन वजह हर पल दिलों-दिमाग में उनकी बातों का होना
उनको देखने भर से इस मचलते दिल का खुश होना
अपनी न होते हुए भी उनको अन्दर ही अन्दर अपनाना
मोहब्बत है ||
दूर हो या पास, बेगानी हो या खास
अपने हिस्से की वो दिन हो या रात
किसी और के नजरों के सामने होकर
जब है अपने दिल के पास
दुनिया खुश है या नाराज
वो दूर होकर भी, आज है मेरे पास
वो अगर खुश हो, देख मेरे दिल को नाराज
फिर भी ये दिल है, उसकी एक मुस्कराहट को बेताब
शायद मैं कभी बेगाना सा मिलू
पर अब दूर होकर भी जिन्दा रहेगी इस दिल की आस
कुछ ऐसी ही है, अपनी मोहब्बत,
मोहब्बत ! जो एक मुद्दत से है बड़ी खास ||
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