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इश्क़-ए-लफ्फाज़ी (भाग-2)



इश्क़ में उम्मीद का होना लाजमी है, लेकिन अक्सर उम्मीदें रिश्तें को मार देती है | क्योकिं अक्सर हम किसी से प्यार करते है तो यह महसूस कराने के लिए,हम सामने वाले के लिए कुछ करने की कोशिश करते है, और इस कोशिश में हम कभी भी अकेले नही होते, किसी न किसी रूप में सामने वाला भी उससे जुड़ जाता है, जिसे क्रियान्वावित करने के लिए सामने वाले का भी शामिल होना जरूरी हो जाता है और हमें उससे उम्मीदे होने लगती हैं |अपने इश्क़ को साबित करने के लिए, सामने वाले को महसूस कराने के लिए हम हमेशा सब कुछ सही दिशा में ही ले जाने की कोशिश करते लेकिन जब अपने जज्बातों तले हम अपने प्रेम में खुद को भूलकर पूरा ध्यान सामने वाले पर केन्द्रित करने लगते हैं तो हमारा प्रेम कहीं न कहीं नकारात्मक दिशा में जाने लगता है | क्योकि तब हमारे प्रेम के होने और करने का अंतर आ जाता है | क्योकिं प्रेम महसूस करने की चीज हैं न कि करने से किया जा सकता है | यदि हमें किसी से प्रेम हैं और उसे भी आपसे प्रेम हैं तो उनमें भी कहीं न कहीं किसी मुकाम पर बहस जरुर हो जाती है, और अक्सर उन झगड़ो और बहस का कारण उम्मीद ही होता है | इसलिए हमें कभी कभी लगता हैं कि प्रेम में उम्मीद नही होनी चाहिए | लेकिन क्या किसी व्यक्ति का किसी दूसरें से जुडाव हो तो सामान्य जीवन में उम्मीदे नदारद रह सकती है ? क्या कोई रिश्ता बिना उम्मीद के कोई मुकाम पा सकता है ? क्या आम मानव जिसकें अन्दर भावनाएं है, वह बिना उम्मीद के रह सकता है ? यह सोचना भी लाजमी हो जाता है | हमें सामने वाले से उम्मीद भी तभी होती जब हमें उसपर विश्वास होता, लगाव होता और उसके प्रति अपनी कुछ इच्छाएँ होती | और यदि आप अपनी इच्छाओं और जज्बातों को सामने वाले के प्रति नही जाहिर कर पाते या यूं कहें कि कोई उम्मीद नही करते, इसका मतलब यह हुआ कि उस रिश्ते में कोई विश्वास, हक़ या लगाव नाम की कोई चीज ही नही है | अगर किसी रिश्ते में आपको समाने वाले से कोई उम्मीद न होती है तो इसका मतलब यह भी होता है कि या तो आप अपने रिश्ते को उतना प्रगाढ़ न बना सके कि हक और विश्वास जता सकें या आप इश्क की वहम में है | क्योंकि मोहब्बत एक बहुत ही खुबसूरत एहसास होता है, शायद दुनियां का सबसे बेहतरीन एहसास | और यदि आपका रिश्ता बस सामने वाले के अनुसार ही चलता हों या उसमें आपके जज़्बात या उम्मीदों के लिए कोई जगह न हो तो निश्चित रूप से आप उस रिश्तें में एक निर्जीव या एहसास रहित प्राणी के रूप में पड़ें हुए है | क्योंकि एक आम मानव के अंदर कुछ न कुछ भावनाएं जरुर समाहित होती हैं और सामने वाले से लगाव भी, और खासकर जब वह एहसास इश्क का हो तो उसमें अपनी भावनाओं को सामने वाले को महसूस कराने तक में उम्मीदों का होना भी लाजमी है | और जरूरी नहीं कि वे उम्मीदे हमेशा रिश्तें में जहर का ही काम करें बस उन उम्मीदों को समझने के नजरिएँ में परिवर्तन लाने की जरूरत है | प्रेम चाहे एकतरफा ही क्यों न हो लेकिन यदि आप वास्तव में प्रेम में हैं तो आप को उम्मीद होती हैं कि इसे मैं शायद किसी रोज समझा पाऊं | अन्यथा आपका प्रेम आपका रिश्ता उम्मीदों के बगैर मरा हुआ है |

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