जब ज़माना हमें जान ले
तो पहचान किस काम की
जब इज़्ज़त हो पद नाम की
शोहरत हो बस आज की
अपनों में हम बदले से हो
फिर ग़ैरों में हम ख़ास बने
वो पहचान ही किस काम की ।।
चाहत है
लोग बुलाए उस नाम से
जब गलियों में हम बदनाम थे
चर्चे हो उन पागलपन के
जब मंज़िल के हम पास न थे
मुकाम नयी हो
पर किस्से पुराने
चेहरों की बस पहचान न हो ।।
ऐसी है कुछ पहचान बनानी
महफ़िल मंजिल के नाम सजी हो
चर्चे हो बदनामी के
हम मशहूर पड़े हो नजरों में
पर बातें हो बस गुमनामी की ।।
तो पहचान किस काम की
जब इज़्ज़त हो पद नाम की
शोहरत हो बस आज की
अपनों में हम बदले से हो
फिर ग़ैरों में हम ख़ास बने
वो पहचान ही किस काम की ।।
चाहत है
लोग बुलाए उस नाम से
जब गलियों में हम बदनाम थे
चर्चे हो उन पागलपन के
जब मंज़िल के हम पास न थे
मुकाम नयी हो
पर किस्से पुराने
चेहरों की बस पहचान न हो ।।
ऐसी है कुछ पहचान बनानी
महफ़िल मंजिल के नाम सजी हो
चर्चे हो बदनामी के
हम मशहूर पड़े हो नजरों में
पर बातें हो बस गुमनामी की ।।
Comments
Post a Comment