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पुलवामा


तुम करो तमाशा, मैं देख रहा
हर नारेबाज़ी समझ रहा
तुम खुली आसमां में चिल्ला रहे हो
मैं इस बन्द तख़्त में सिमट रहा
बैनर, पोस्टर और मोमबत्तियों से
मुझकों तुम भुना रहे,
सोशल मीडिया और गालियों से
क्रांति तुम फैला रहे
अरे ठहर ज़रा, बस शांत बैठ तू
एक क़दम बढ़ा तू उस घर पे
जहाँ एक बूढ़ा बैठा ठिठक रहा
बेटा माँ से लिपट रहा
उस बूढ़ी माँ के आँसू पोछो
कुछ करना है तो उसे गले लगा
मुझ जैसे और लाखों थे
जो भारत माँ की बलि चढ़े
क्या बदलेगा तू इन सब से
धर्म, जाति या अपना खुदा
कुछ तो अपनी अक़्ल लगा
तू देख अब भी मेरी चिता पर
कोई अपनी रोटी सेक रहा ।।

#पुलवामा_शहीद  #नमन
Arun kr jaiswal

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मैं पूरा सा नही हो पा रहा हूँ

सुनो न! मैं पूरा सा नही हो पा रहा हूँ कुछ समेटने की कोशिश कर रहा हूँ पर खुद को बिखरा सा महसूस कर रहा हूँ मुझमें जिद्द न थी तुझे पाने की पर कुछ तो छूट सा गया है न जाने किस अन्जाने तलाश में आगे निकल चला हूँ दरसअल, याद आ रहा है वो सब कुछ जो बदल सा गया है तुम, तुम्हारा साथ और एहसास सब याद आ रहा है एक साया सा है मेरे साथ जिससे मैं ख़ुद को जुदा कर रहा हूँ भूल जाऊ, ऐसी कोशिश है मेरी पर भूलकर जैसे खुद अधूरा सा लग रहा हूँ।। #ख़्वाब #मेरे_सपने

इश्क़-ए-लफ्फाज़ी (भाग-1)

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उन्होंने कुछ कहा और सोचते रहे हम

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