तुम करो तमाशा, मैं देख रहा
हर नारेबाज़ी समझ रहा
तुम खुली आसमां में चिल्ला रहे हो
मैं इस बन्द तख़्त में सिमट रहा
बैनर, पोस्टर और मोमबत्तियों से
मुझकों तुम भुना रहे,
सोशल मीडिया और गालियों से
क्रांति तुम फैला रहे
अरे ठहर ज़रा, बस शांत बैठ तू
एक क़दम बढ़ा तू उस घर पे
जहाँ एक बूढ़ा बैठा ठिठक रहा
बेटा माँ से लिपट रहा
उस बूढ़ी माँ के आँसू पोछो
कुछ करना है तो उसे गले लगा
मुझ जैसे और लाखों थे
जो भारत माँ की बलि चढ़े
क्या बदलेगा तू इन सब से
धर्म, जाति या अपना खुदा
कुछ तो अपनी अक़्ल लगा
तू देख अब भी मेरी चिता पर
कोई अपनी रोटी सेक रहा ।।
हर नारेबाज़ी समझ रहा
तुम खुली आसमां में चिल्ला रहे हो
मैं इस बन्द तख़्त में सिमट रहा
बैनर, पोस्टर और मोमबत्तियों से
मुझकों तुम भुना रहे,
सोशल मीडिया और गालियों से
क्रांति तुम फैला रहे
अरे ठहर ज़रा, बस शांत बैठ तू
एक क़दम बढ़ा तू उस घर पे
जहाँ एक बूढ़ा बैठा ठिठक रहा
बेटा माँ से लिपट रहा
उस बूढ़ी माँ के आँसू पोछो
कुछ करना है तो उसे गले लगा
मुझ जैसे और लाखों थे
जो भारत माँ की बलि चढ़े
क्या बदलेगा तू इन सब से
धर्म, जाति या अपना खुदा
कुछ तो अपनी अक़्ल लगा
तू देख अब भी मेरी चिता पर
कोई अपनी रोटी सेक रहा ।।
#पुलवामा_शहीद #नमन
Arun kr jaiswal
Arun kr jaiswal
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