रूबरू कराऊंगा कभी तुझसे तुझ को
बदल दूंगा तेरे सारे तौर तरीकों को
आज बदल रहा हर पल दो पल तू
बदलने दे बस इस समय की करवट को
अपने हुनर तले लहरों सा बहा ले जाऊंगा तुझे
बदल दूंगा तेरे सारे तौर तरीकों को
आज बदल रहा हर पल दो पल तू
बदलने दे बस इस समय की करवट को
अपने हुनर तले लहरों सा बहा ले जाऊंगा तुझे
आज तू घुमा रहा दर बदर मुझे
एक रोज अपने सपनो के जंजाल में फिर उलझाऊंगा तुझे
आज तू बंधाओ की डोर सी
दो सिरो पर बहा रहा मुझे
एक रोज तुझे ही बाँधकर
अपने सपनों की राह बनाऊंगा मैं
एक रोज अपने सपनो के जंजाल में फिर उलझाऊंगा तुझे
आज तू बंधाओ की डोर सी
दो सिरो पर बहा रहा मुझे
एक रोज तुझे ही बाँधकर
अपने सपनों की राह बनाऊंगा मैं
#ऐ_ज़िन्दगी तू और आज़मा मुझे
Comments
Post a Comment