वो झुकी नजरें
कुछ बिखरी सी जुल्फें
बदल गयी उस एक नजऱ को
जो उसे कब से निहारे जा रही थी
वो कुछ छोटी छोटी बातों में उलझी थी
ये दिल कुछ पल भर की मुलाक़ात की उम्मीद किए
एक बड़ी गुप्तगू फ़िराक में था
नजऱ से नजऱ मिलती रही
वो इस नजऱ को देख खुद की पलकों में छिपती रही
वो कुछ क़दम दूर खड़े
नज़रो के सहारे ही सही
हौले हौले दिल के करीब आते गए
#टुरी_पर_नज़र 😉
कुछ बिखरी सी जुल्फें
बदल गयी उस एक नजऱ को
जो उसे कब से निहारे जा रही थी
वो कुछ छोटी छोटी बातों में उलझी थी
ये दिल कुछ पल भर की मुलाक़ात की उम्मीद किए
एक बड़ी गुप्तगू फ़िराक में था
नजऱ से नजऱ मिलती रही
वो इस नजऱ को देख खुद की पलकों में छिपती रही
वो कुछ क़दम दूर खड़े
नज़रो के सहारे ही सही
हौले हौले दिल के करीब आते गए
#टुरी_पर_नज़र 😉
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