उस चेहरे की सिकन को देखो
जब वह कुछ अनजानों के भीड़ के बीच छिपा हो
देखो उसके अंदर की बेचैनी को
जब वह कुछ कदम दूर रखें हुए भी
टकटकी लगाए निहार रहा एक कोने को
कुछ खटपट सी क्या हुई
आँखों के साथ साथ
सहारा लिए हाथ भी बेसहारा हो
बढ़ाते है अपने कदम
अपने जिगर को बचाने किसी गैर नजर से
देखो गौर से उस चेहरे को
इस दौड़ती ट्रेन, भरी भीड़ में लोगो के भागती नजरों के बीच
एक पिता खड़ा है, अपनी बेटी से कुछ ही कदम दूर
शायद इस सफर को मजबूर ....
#सफ़र_में
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