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इश्क़-ए-लफ्फाज़ी (भाग-4)





ठण्ड हो चला है यह मौसम भी, इस प्यार के महीने में, ठीक वैसे ही जैसे मेरा प्यार ठंडा पड़ता गया तुझे बदलते देख | या यूं कह लें कि तेरे एहसासों और मुस्कराहटों का रूख बदलते देख | जब अधिकतर बड़े शहरों की तरह अपने इस छोटे से कस्बें में भी साथी युवाओं के सर वेलेंटाइन का भूत सवार है तो अन्दर ठण्ड पड़ी मोहब्बत भी कभी कभी हिलोर ले उठती है | कभी तुम्हारे खिलखिलाते चेहरे की याद दिलाती तो कभी तुम्हारे उन तमाम बचकानी हरकतों और नादानियों की | ऐसे तमाम पल रहे मेरे तुम्हारे दरमियाँ जिसे जीने या महसूस करने के लिए किसी खास दिन की जरूरत नही महसूस हुई | बस वे सारे लम्हें मेरे तुम्हारे यादों में किसी न किसी रूप में जुड़ते चले गये | अपने इश्क़ के इज़हार के लिए किसी खास दिन की जरूरत नही होती | अगर इश्क है तो हर पल खास और यादगार हो सकता | इश्क़ होनी चाहिए उन तमाम छोटे छोटे लम्हों से जो आपके या आपके साथी के चेहरे पर मुस्कान लाये, इश्क होनी चाहिए अपने उन तमाम एहसासों से जो आपको बिना सोचे समझे किसी को खास महसूस कराने और मोहब्बत जाहिर करने के लिए कुछ भी करने को मजबूर करने को मजबूर कर दे | इश्क़ होना चाहिए कुछ ऐसा जो आपको खुद से इश्क़ करने को मजबूर कर दे | सामने वाले को जज करने के बजाय खुद के बराबर सामने वाले पर आँख बंद कर उसे समझने को मजबूर कर दे | अगर ऐसा कुछ इश्क़ है तो इसके लिए किसी खास दिन और तारीख की जरूरत नही, हर पल को कुछ यूं जियो कि हर दिन मोहब्बत का दिन हो और आपके रोजमर्रा के जीवन की हर एक्टिविटी इश्क़ के इज़हार का तरीका साबित हो | इश्क़ में किसी खास दिन, किसी खास शाम, आपके साथी का साथ होना जरूरी नही, उसे हर पल महसूस करना जरूरी है और हर पल को आखिरी पल समझ कर साथ देना जरूरी है | वैसे तो तुम्हारी याद आ ही जाती जब जब इन लम्हों को महसूस कर पाता मैं, लेकिन अक्सर ठण्ड पड़ी यह मोहब्बत हवाओं का रूख देख अलग दिशा में हिलोर लेने लगती | इसलिए नही कि तुझसे कोई रुसवाई या गिला -शिकवा इस दिल में है, बल्कि इस डर से अपनी दिशा बदल लेती कि ये हिलोर लेती लहरें कहीं तेरे घर को बर्बाद करने का कारण न बन बैठे | इसलिए इन ठण्ड हवाओं के साथ इस प्यार के मौसम में इस ठण्ड पड़े इश्क़ ने भी तुझे समझते हुए खुद के रास्ते पर चलना और सम्भलना सीख लिया है | किसी से मोहब्बत करने के लिए खुद से भी मोहब्बत होनी जरूरी है | खैर तुम तो मेरी अपनी ही हो, बस किसी और के बाग़ की फूल की तरह |  पर इस बार दिशा बदले हवाओं में कुछ अजीब सी गर्माहट भी महसूस हुई, कहीं इस इश्क़ ने किसी शांत कोने को तो नही तलाश लिया ? 

हैप्पी वैलेंटाइन डे  :)

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